घर में है वाई-फ़ाई?, तो बड़े ख़तरे को दे रहे हो दावत

 

घर में है वाई-फ़ाई?, तो बड़े ख़तरे को दे रहे हो दावत

इंटरनेट और दुनिया......
आज के दौर में इंटरनेट बेहद जरूरी हो गया है. पढ़ाई से लेकर नौकरी तक हर जगह नेट अपना कब्जा जमा रखा है. जिसके चलते महानगरों के घरों में ब्रॉडबैंड और राउटर मिल जाएंगे. लेकिन ये राउटर काम में आपकी मदद तो कर रहे हैं लेकिन ठीक इसके विपरीत आपके स्वस्थ्य पर भी बुरा असर डाल रहे है मुख्य तौर पर छोटे बच्चों के लिए ये किसी खतरे से कम नहीं है. 

छोटे छोटे बच्चों पर वाई-फाई का असर

वाईफाई से लगातार निकलने वाली नॉन थर्मल रेडियो फ्रीक्वेंसी रेडिएशन सिर्फ बच्चों के लिए ही नही बल्कि भ्रूण विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है कुल मिलाकर ये रेडिएशन टिशू विकास को प्रभावित कर रही है. इससे वजह से सिर्फ एक तरह की नहीं बल्कि कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं. इनमें नींद की समस्या सबसे बड़ी है. अगर लगातार आपकी नींद में खलल पैदा हो रही है, तो इसके पीछे का कारण वाई-फाई हो सकता है.

वाई-फाई के इस्तेमाल से होने वाली मुख्य समस्याएं

  • भ्रूण विकास पर खतरा 
  • टिशू विकास पर खतरा 
  • अनिद्रा की समस्या 
  • दिमागी एकाग्रता को नुकसान 
  • स्पर्म पर नकारात्मक प्रभाव 
  • दिल की बीमारी का खतरा 
  • कैंसर का खतरा

वाई-फाई के रेडिएशन से कैसे बचें?

  • राउटर को बेडरूम से दूर रखें 
  • मोबाइल को जेब में न रखे 
  • घर में तार वाले फोन का इस्तेमाल 
  • गर्भवती महिलाएं मोबाइल को पेट से दूर रखें 
  • लंबी बातचीत के बजाए टेक्स्ट मैसेज करें 
  • सोने से पहले सभी डिवाइस के वाई-फाई बंद रखें


प्रयोग से जानिए कितना खतरनाक वाई-फाई?

वाई-फाई से होने वाले खतरों को लेकर यूरोप के द्वीप नॉर्दन जूटालैंड की स्कूली छात्राओं ने एक प्रयोग किया. इन नौवीं की छात्राओं में से निया नीलसन ने इसके बारे में विस्तार से बताया है उन्होंने बताया कि लिविंग सेल पर वाई-फाई रेडिएशन का असर जांचने के लिए उन्होंने 12 ट्रे में क्रेस बीजों को रखा.

इनमें 6 ट्रे को एक कमरे में जबकि बाकी 6 को दूसरे कमरे में रखा गया. सभी ट्रे में 400 बीज मौजूद थे. दोनों कमरों का तापमान बराबर था, साथ ही एक्सपेरिमेंट के दौरान दोनों ट्रे को बराबर मात्रा में पानी और धूप दी गई. दोनों कमरों में सिर्फ एक अंतर था कि एक कमरे में 2 वाई-फाई राउटर रखे गए.

इन राउटर से वही रेडिएशन उत्सर्जित हो रही थी, जो आपके और हमारे घरों में लगे वाई-फाई से होती हैं जिससे हमारे मोबाइल और लैपटॉप में नेट चलता है.

क्या रहा प्रयोग का निष्कर्ष?
12 दिन के प्रयोग के बाद निष्कर्ष सामने आया कि दोनों कमरों में रखी ट्रे का नजारा बिल्कुल अलग है. एक कमरे में ट्रे में रखे बीज बिल्कुल अच्छे से ग्रो हुए जबकि जहां वाई-फाई मौजूद था, वहां बीजों का विकास नहीं हुआ और उनमें से काफी बीज सूखकर पूरी तरह खत्म हो गए
News Source; SM Hindi News

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