कानून और व्यवस्था बनाए रखना राज्य का कर्तव्य है': मराठा आरक्षण विवाद पर Bombay High Court


Mumbai: महाराष्ट्र की राजनिति मे अभी खलबली देखी जा रही है राजनीतिक गलियारे मराठा आरक्षण विवाद को लेकर काफी गर्म हैं। जालना में मराठा आरक्षण के लिए विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई जिसके चलते महायुति सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं।

नीलेश बाबूराव शिंदे द्वारा दायर संबंधित PIL पर संज्ञान लेते हुए, बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कानून व्यवस्था बनाए रखने और प्रदर्शनकारियों के स्वास्थ्य पर विचार करने के लिए निर्देश देने की मांग की है। 

अदालत ने एक तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि नागरिकों की आकांक्षाएं जो है अलग-अलग तरीकों से विरोध प्रदर्शनों को जन्म देती हैं, हालांकि किसी मुद्दे पर विरोध करना नागरिक का मौलिक अधिकार है, लेकिन इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए। कानून और व्यवस्था बनाए रखना राज्य का भी उतना ही कर्तव्य है।

सरकार के तरफ से महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने कहा कि राज्य प्रदर्शनकारियों के स्वास्थ्य के बारे में समान रूप से चिंतित है और पनापति स्थिति को लेकर भी उतना ही चिंता रखती है। उन्होंने कहा कि राज्य इस बात को लेकर कई कदम उठा रहा है, जिसमें मनोज जारांगे पाटिल को अनशन तोड़ने के लिए मनाना भी मुख्य रूप से शामिल है। 

अदालत ने ये भी कहा कि बस जलाने और विभिन्न आंदोलनों की घटनाएं हुई हैं और कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा चिकित्सा उपचार का विरोध भी किया गया है। न्यायालय ने एक विस्तृत आदेश पारित करते हुए कहा कि राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाएगा कि कोई कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न न हो। कोई भी प्रदर्शन ऐसा नहीं होना चाहिए जो कि हिंसा को बढ़ावा देता हो हिंसक हो जाए या केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया जाए। यदि ऐसा कोई उल्लंघन होता है, तो ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए राज्य द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिए

न्यायालय ने यह भी कहा कि प्रदर्शनकारी और आंदोलनकारी कानून-व्यवस्था को प्रभावित करने वाली किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। सभी जरूरतमंदों को चिकित्सा उपचार देने का भी निर्देश दिया और सभी विभागों को चिकित्सा उपचार प्रदान करने के लिए सभी उचित कदम उठाने चाहिए।

News Source; SM Hindi News

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