रक्षाबंधन पर भद्रा, इस अशुभ काल ने रावण का भी कर दिया था विनाश | What is Bhadra Kaal, Who is Bhadra

 

रक्षाबंधन पर भद्रा, इस अशुभ काल ने रावण का भी कर दिया था विनाश | What is Bhadra Kaal, Who is Bhadra

शास्त्रों में भद्रा काल में भाई की कलाई पर राखी बांधना वर्जित माना गया है. इस पर रावण से जुड़ी एक प्रचलित कथा भी है. ऐसी मान्यताएं हैं कि लंकापति रावण ने अपनी बहन शूर्पनखा से भद्रा काल के समय ही राखी बंधवाई थी. और भद्रा काल में राखी बांधने के कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ

रक्षाबंधन पर भद्रा काल:

राखी का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का त्योहार है. इस दिन बहन शुभ मुहूर्त में भाई की कलाई में राखी बांधती हैं. रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास के शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है. लेकिन, साल 2023 के लिए रक्षाबंधन को लेकर कई कन्फ्यूजन हैं. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, पूर्णिमा तिथि का आरंभ 30 अगस्त 2023 को प्रातः10:59 मिनट से होगा. पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा आरंभ हो जाएगी जोकि रात्रि 09:02 तक रहेगी. शास्त्रोंमें भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाने का निषेध कहा गया है. इस दिन भद्रा का काल रात्रि 09:02 तक रहेगा.इस समय के बाद ही राखी बांधना ज्यादा उपयुक्त रहेगा..

कौन है भद्रा? क्या है भद्रा काल?

पुराणों के मुताबिक, भद्रा को शनिदेव की बहन और सूर्य देव की पुत्री बताया गया है. स्वभाव में भद्रा भी अपने भाई शनि की तरह कठोर हैं. ब्रह्मा जी ने इनको काल गणना (पंचांग) में विशेष स्थान दिया है. हिंदू पंचांग को 5 प्रमुख अंगों में बांट गया है- तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण. इसमें 11 करण होते हैं, जिनमें से 7वें करण विष्टि का नाम भद्रा बताया गया है. हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन मुहुर्त में भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है. माना जाता है कि भद्रा का समय राखी बांधने के लिए अशुभ होता है. इसके पीछे की वजह भगवान शिव और रावण से जुड़ी एक कथा है. आइए जानते हैं पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा काल के समय क्यों नहीं बांधी जाती है राखी...

क्या होती है भद्रा, क्यों शुभ नहीं?

भद्रा के वक्त यात्रा, मांगलिक कार्य निषेध हैं. रक्षा बंधन को शुभ माना गया है, इस वजह से भद्रा में राखी नहीं बांधी जाती. पंडित दीपक शुक्ला के मुताबिक, चंद्रमा की राशि से भद्रा का वास निर्धारित किया जाता है. मान्यता है कि जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है. चंद्रमा जब मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक में रहता है तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में रहता है. चंद्रमा के कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में स्थित होने पर भद्रा का वास पाताल लोक में माना गया है. गणणाओं में भद्रा का पृथ्वी पर वास भारी माना गया है.

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